सवाल असस्लामु अलैकुम वा रहमतुल्लाह व बरकातुहू हज़रत मेरा सवाल ये है कि अगर कोई शख्स मालिके निसाब है, उसके घर वाले भी कमाते हों और वो भी कमाता हो और खेती वगैरह भी हो तो क्या वो ज़कात और फितरे का पैसा ले सकते हैं? और अगर किसी ऐसे …
Read More »मुतफ़र्रिक़ मिसाइल
गैर मुस्लिम की ज़मीन गिरवी रख कर फसल लेना
सवाल अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू गैर मुस्लिम की ज़ामीन गिरवी रख कर फसल ले सकते हैं या नहीं? जवाब वअलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू गैर मुस्लिम की ज़मीन गिरवी रख कर फसल ले सकते हैं इस लिए कि यहां के गैर मुस्लिम हरबी काफ़िर है ! …
Read More »क्या औरत इददात के दरमियान बाहर निकल सकती है?
सवाल अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू मेरा सवाल यह है के एक औरत जिसके शौहर ने उसे तलाक़ देदी है अब वह औरत इद्दत के दरमियान बाहर आती जाती रहती है बगै़र किसी वजह के ग़ैर मेहरम से भी बात करती है क्या उस औरत की इद्दत हो जाएगी …
Read More »अगर क़ुरबानी का जानवर मरजए या चोरी होजाये Agar Qubani Ka Janwar Marjaye
सवाल अस्सलामु अलैकुम मेरा सवाल है कि किसी ने क़ुरबानी के लिए जानवर ख़रीदा लेकिन वह जानवर चोरी होगया या मर गया अब उसके पास इतना पैसा भी नहीं है कि वह दूसरा जानवर ख़रीद सके तो अब क्या उसे क़र्ज़ लेकर क़ुरबानी करनी होगी जवाब इनायत …
Read More »वज़ू करने का मसनून तरीक़ा Wazu Ka Masnoon Tariqa
सवाल अस्सलामु अलैकुम मेरा सवाल है कि वज़ू करने का मसनून तरीक़ा क्या है बयान फरमाएं मेहरबानी होगी सवाल करने वाला मोहम्मद अनस अली खान जवाब व अलैकुम अस्सलाम याद रहे कि ग़ुस्ल की तरह वज़ू में भी कुछ चीज़ें फ़र्ज़ हैं जिनको अगर सही तरीक़ा से अदा ना किया गया तो वज़ू नहीं …
Read More »मंदिर का परशाद खाना कैसा है? Mandir Ka Parsad Khana Kaisa?
सवाल अस्सलामु अलैकुम मेरा सवाल है कि मंदिर का परशाद खाना कैसा है? सवाल करने वाला मोहम्मद क़मर रज़ा जवाब व अलैकुम अस्सलाम मंदिर का परशाद खाना जाइज़ है लेकिन मुसलमानों को इस से बचना चाहिए फतावा रज़विया में है अगर किसी मुस्लमान ने आग पूजने वाले की बकरी उसके …
Read More »सदक़ा ए फ़ित्र किस पर और कब वाजिब है? Sadqa e Fitr Kab Wajib Hota Hai?
सवाल अस्सलामु अलैकुम मेरा सवाल है कि सदक़ा ए फ़ित्र किस पर वाजिब हैं और कब वाजिब है इसके कुछ मसाइल बयां फरमा दें सवाल करने वाला मोहम्मद रियाज़ पीलीभीत जवाब 1 सदक़ा ए फ़ित्र वाजिब है उमर भर उसका वक़्त है यानि अगर अदा ना किया हो तो …
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