सवाल:
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू
ताजिया के लिए ज़बरदस्ती के चन्दा लेना कैसा है?
जवाब:
व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू
ताजिए दारी के नाम पर ताजिए दारों के लिए ज़बरदस्ती गरीबों के घरों में घुस घुस कर चन्दे लेना और मना करने वालों को या कम देने वालों को धमकियां देना उनके बर्तन, भाडे उठा कर ले जाना, तरह-तरह से उन्हें तंग करना एक आम बात हो गई है। यह मुसलमानों की ईज़ा रसानी है और सख्त हराम है। मस्जिदें और मदरसे जो इस्लाम की असल हैं ज़बरदस्ती चन्दे तो उनके लिए भी नहीं करना चाहिए चे जाइकि ताजिए दारी! वह तो एक हराम काम है उसकी वजह से गरीबों का खून चूसना डबल हराम है। और अल्लाह और उसके रसूल को नाराज करना है। आजकल हिन्दुस्तान का मुसलमान बेरोज़गारी और गरीबी का शिकार है और ऊपर से यह जबरदस्ती के चन्दे वह भी फाल्तू बातों के लिए अफसोस की बात है। खुदा तआला पैसा दे तो फाल्तू बातों में खर्च नहीं करना चाहिए अपनी जरूरियात और राहे खुदा में खर्च करे हुकूक अदा करे और उसके बाद अगर पैसे को बचा कर भी देखे तो उस में कोई गुनाह नहीं क्योंकि पैसा वक़्त पर आदमी के काम आता है इंसान की जान व माल इज़्ज़त व आबरू की हिफाजत करता है और दूसरों के सामने हाथ फैलाने और जलील होने से बचाता है।