सवाल
मेरा सवाल है कि किन सूरतो में रोज़ा टूटने पर कफ़्फ़ारा भी लाज़िम आता है
सवाल करने वाला
मोहम्मद क़ासिम पीलीभीत
जवाब
1 रमज़ान में रोज़ादार मोकल्लफ यानी आकिल बालिग मुकीम यानी जो मुसाफिर ना हो रमज़ान के अदा रोज़ा की नियत से रोजा रखा फिर किसी आदमी से जो काबिले शहवत है जिमा यानी हमबिस्तरी की या उस रोजेदार के साथ हमबिस्तरी की गई या कोई गिज़ा या दवा खाई या पानी पिया या कोई चीज़ ज़ाइक़ा के लिए खाई या पी या कोई ऐसा काम किया जिससे इफ्तार का गुमान होता हो और उसने गुमान कर लिया के रोज़ा जाता रहा फिर जानबूझकर खा लिया या पी लिया इन सब रूपों में रोज़ा की कज़ा और कफ़्फ़ारा दोनों लाजिम हैं
2 जिस जगह रोजा टूटने से कफ़्फ़ारा लाजिम आता है उसमें यह शर्त है कि रात ही से रोज़ा रमजान की नियत की हो अगर दिन में नियत की और तोड़ दिया तो कफ़्फ़ारा लाजिम नहीं होगा