अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह व बरकातुह
हजरत की बारगाह में अरज है के नमाज में आंखें बंद रखना कैसा है? मकरूह है या नहीं
वालैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाह व बरकातुह
नमाज में आंखें बंद रखना मकरूह है लेकिन अगर आंखें खुली रखने मैं खुशुअ ना होता हो और इधर-उधर तवज्जा बटती हो तो आंखें बंद करने में हर्ज नहीं बल्कि बेहतर है
(मोमिन की नमाज़)