Thursday , 21 November 2024

अज़ान व इक़ामत के जवाब का तरीका

सवाल:

अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु

अज़ान व इक़ामत के जवाब का तरीका क्या है?

जवाब:

व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु
अज़ान व इक़ामत के जवाब का तरीका:

मुअज़्ज़िन साहिब को चाहिये कि अज़ान के कलिमात ठहर ठहर कर कहें। اللَّهُ أَكْبَرَ اللَّهُ أَكْبَر (यूं दो कलिमात है मगर) दोनों मिल कर (बिगैर सक्ता किये एक साथ पढ़ने के ए’तिबार से) एक कलिमा हैं, दोनों के बा’द सक्ता करे (या’नी चुप हो जाए) और सक्ते की मिक्दार येह है कि जवाब देने वाला जवाब दे ले, सक्ते का तर्क मक्रूह है और ऐसी अज़ान का इआदा (या’नी लौटाना) मुस्तहब है। (दुर्रे मुख्तार व रद्दु मुहतार जि.2 स.66) जवाब देने वाले को चाहिये कि जब मुअज़्ज़िन साहिब اللَّهُ أَكْبَرَ اللَّهُ أَكْبَر कह कर सक्ता करें या’नी खामोश हों उस वक़्त اللَّهُ أَكْبَرَ اللهُ أَكْبَر कहे। इसी तरह दीगर कलिमात का जवाब दे। जब मुअज़्ज़िन पहली बार اشْهَدُ انَّ مُحَمَّدًا رَسُولُ الله कहे येह कहे :
صلَّى اللهُ عَلَيْكَ يَا رَسُولَ الله
(तर्जमा: आप पर दुरूद हो या रसूलल्लाह
((صَلَّى اللهُ تَعَالَى عَلَيْهِ وَالِهِ وَسَلَّم)

जब दोबारा कहे, येह कहे:
قُرَّةُ عَيْنِي بِكَ يَا رَسُولَ الله

(या रसूलल्लाह ! आप से मेरी आंखों की ठन्डक है)

और हर बार अंगूठों के नाखुन आंखों से लगा ले, आखिर में कहे :
اللَّهُمَّ مَتِّعْنِي بِالسَّمْعِ وَالْبَصَر
(ऐ अल्लाह عزوجل मेरी सुनने और देखने की कुव्वत से मुझे नफ्अ अता फरमा) (रद्दु मुहतार जि.2 स.84)
حَيَّ عَلَى الْفَلَاحِऔर حَيَّ عَلَى الصَّلَوٰة
के जवाब में (चारों बार)لَاحَوْلَ وَلَا قُوَّةَ إلا باللَّه
कहे और बेहतर येह है कि दोनों कहे (या’नी मुअज़्ज़िन ने जो कहा वोह भी कहे और लाहौल भी) बल्कि मजीद येह भी मिला ले :

مَا شَاءُ اللَّهُ كَانَ وَمَالَمُ يَشَأْ لَمْ يَكُن
‍‌(तरजमा : जो अल्लाह عزوجل ने चाहा हुवा, जो नहीं चाहा न हुवा )
(धुर्रे मुख्तार व रद्दु मुहतार जि.2स.82, आलमगीरी जि.1स.57)
الصَّلُوةُ خَيْرٌ مِّنَ النَّوْمِ
के जवाब में कहे :

: صَدَقْتَ وَبَرِرْتَ وَبِالْحَقِّ نَطَقْتَ

(तरजमा : तू सच्चा और नेकूकार है और तूने हक कहा है)
(दुर्रे मुख्तार व रद्दु मुहतार जि. 2स. 83‍‍)
इक़ामत का जवाब मुस्तहब है। इस का जवाब भी इसी तरह है फर्क इतना है कि قَدْقَامَتِ الصلوة के जवाब में कहे :

أَقَامَهَا اللَّهُ وَأَدَامَهَا مَا دَامَتِ السَّمُوتُ وَالْأَرْضِ
(तरजमा : अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ इस को काइम रखे जब तक आस्मान और ज़मीन हैं)

( आलमगीरी जि.1 स. 57)

 

azano iqamat ke jawab ka tareeqa

अज़ान व इक़ामत के जवाब का तरीका

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