सवाल
अस्सलामु अलैकुम
औरत की नमाज़ पढ़ने का मसनून तरीक़ा मुकम्मल वज़ाहत के साथ बयान फ़रमादें
जवाब
व अलैकुम अस्सलाम
औरतों की नमाज़ पढ़ने का सुन्नत तरीक़ा यह है कि अच्छी तरह वज़ू करके क़िब्ला रुख खड़ी हो और नमाज़ की नियत करके अल्लाह हू अकबर कहें और अल्लाह हू अकबर कहते वक्त हाथों को दुपट्टे के अंदर ही से कंधों तक उठाकर सीने पर पहले बायां हाथ रखें और उसकी पुश्त पर दाएं हाथ की हथेली रखें
और यह दुआ पढ़ें:
फिर अउजूबिल्ला और बिस्मिल्लाह पढ़ कर सूरह फातिहा पढ़ें और वल्ददोलीन के बाद आमीन कहें फिर बिस्मिल्लाह पढ़कर कोई सूरत पढ़ें और क़याम की हालत में निगाह सजदे की जगह पर रहे
फिर अल्लाह हू अकबर कहकर रुकू मैं जाएं और सुब्हान रब्बियाल अज़ीम 3, 5 या 7 मर्तबा कहें और रुको मैं दोनों हाथों की उंगलियां मिलाएं और दोनों पैर के ढकने बिल्कुल मिला लें
फिर समीअल्लाह होलीमन हमीदा और रब्बना वा लकल्हमद कहती हुई सर को उठाएं जब खूब सीधी खड़ी हो जाएं तो फिर अल्लाह हू अकबर कहती हुई सजदा में जाएं ज़मीन पर पहले घुटने रखें फिर हाथ और फिर नाक और पेशानी दोनों हाथों के दरमियान में रखें हाथों की उंगलियां क़िबला रुख और खूब मिली हुई हो नीज़ सजदा मैं पांव खड़े ना करें बल्कि दाहिनी तरफ़ को निकाल कर ख़ुब सीमेंट कर और दबकर उस तरह सजदा करें के पेट दोनों रानू से और बाहें दोनों पहलुओं से मिलकर जमीन पर रखी हुई हैं
सजदा मैं कम से कम 3 मर्तबा सुबहाना रब्बियाल आला कहें फिर अल्लाह हू अकबर कहती हुई उठे और मन दर्जा बाला यानी जो ऊपर गुज़र चुका है उसके मुताबिक बैठ जाएं जब खूब अच्छी तरह बैठ जाएं तब अल्लाह हू अकबर कहकर दूसरा सजदा उसी तरह करें फिर अल्लाह हू अकबर कहती हुई खड़ी हो जाएं यह एक रकात पूरी हुई
फिर दूसरी रकात में बिस्मिल्लाह पढ़कर सूरतुल फातिहा पढ़ें और कोई सूरत मिलाएं और दूसरी रकात को पहली रकात की तरह पूरी करें
जब सजदे में जाएं तो दोनों सजदों के दरमियान जलसा मैं और अत्तहियात में अपने दोनों पांव को दाएं तरफ निकालकर बाय सरीन के कुले पर बैठे और दोनों हाथ अपनी रानों पर रखें निगाहें गोद की तरफ़
फिर अत्तहियात पढ़ें:
जब ला इलाहा वाले कलमा पर पहुंचे तो दरमियानी उंगली और अंगूठे से हल्का बनाकर ला इलाहा कहते वक्त सहादत की उंगली उठाएं और इल्लल्लाहु कहते वक्त झुका दे
अगर 4 रकात पढ़नी हो तो इस से ज़्यादा और कुछ नहीं पढ़ें बल्के फौरन अल्लाह हू अकबर कहकर उठ खड़ी हो और दो रकाते और पढ़ने अगर फर्ज नमाज़ हो तो आखिरी दो रकातो मैं सूरह फातिहा के साथ और कोई सूरत ना मिलाएं और सुन्नत या नफ़ल हो तो उसमें सूरत भी मिला लें.
जब चौथी रकात पर बैठे तो तशहूद की हालत मैं अत्तहियात पढ़ के यह दुरूद पढ़ें:
फिर यह दुआ पढ़ें:
या कोई और दुआ पढ़ें जो क़ुरान मजीद या हदीस में आई हो,
फिर दाएं तरफ़ सलाम फेरें और कहें अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह फिर बाएं तरफ़ सलाम फेरते हुए यही जुमला कहें और नमाज़ मुकम्मल करें
सलाम करते वक्त फरिश्तों पर सलाम करने की नियत करें