Tuesday , 3 December 2024

नमाजे़ फजर क़ज़ा करने वाले का हुक्म

सवाल

अस्सलामु अलेकुम व रहमतुल्लहि व बरकातुह

हज़रत यह इंसान वह शख्स है जो नमाजे फजर नहीं देखता है दीगर नमाज पढ़ते हैं जब उसे कहा जाता है कि आप फजर की भी किताब पढ़ते हैं तो उसका पता चलता है कि गुरुदा खराब है मैं काजा पढ़ता हूं क्या मुसल नमाज ए फजर कजा पढ़ने वाले की एकता में नमाज़ होगी या नहीं?

जवाब

वालेकुम अस्सलाम वा रहमतुल्लहि व बरकातुह

जो शख्स एक वक्ता की नमाज छोड़ दे वह फसिक है, बहारे शरीयत में है और जो कसदन छोड़ दे अगरचे एक ही वक्त की वह फासिक है जब एक वक्ता की नमाज कसदन बिला बाहे शरी छोड़े वाला फासिक है तो जो तरीके नमाज का हो आदि वह बा दरजाए ओला फासिक फाजिर मुजरीमों गुनहगार और मुसतहक गजबे जब्बार है उसे इमाम नाजायज है और उसकी इकतिदा में पढ़ी गई नमाज मकरूह तेहरीमी है जिसका लौटना बाजीब है!

 

namaze fajar qaza karne wale ka hukm

नमाजे़ फजर क़ज़ा करने वाले का हुक्म

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