Thursday , 21 November 2024

मय्यत को गुस्ल देने का तरीक़ा

सवाल

मय्यत को गुस्ल देने का क्या तरीक़ा है? हदीसों की रोशनी में तफसील से लिखें, अगर मय्यत का जिस्म साफ़ ना हो तो क्या तीन बार से ज़्यादा पानी बहाया जा सकता है?

जवाब

मय्यत को गुस्ल देने का शरई तरीक़ा यह है की सबसे पहले उसे इस्तिंजा कराया जाए यानी उसकी शर्मगाह को धोया जाए धोने से पहले मिट्टी या ढेले सफाई के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं फिर उसे गुस्ल दिया जाए ,आजा़ए वज़ू से शुरू करे और उसे वज़ू कराए लेकिन मय्यत मुंह और नाक में पानी दाखिल न किया जाए बल्कि गुस्ल देने वाले को चाहिए कि कपड़े के एक टुकड़े को गीला करके उसके साथ मय्यत के मुंह और नाक को साफ करें फिर उसके बाकी जिस्म को गुस्ल दे बेहतर है कि कुछ पानी में बेरी के पत्ते कू कर डाल दिए जाएं या उन्हें पानी में जोश दिया जाए उस पानी से उसके सर और दाढ़ी को धोया जाए बेरी के पत्तों का फायदा यह है कि उस्से जिस्म बहुत ज़्यादा साफ हो जाता है बेरी के पत्ते इस्तेमाल करना मसनून अमल है उनकी जगह साबुन इस्तेमाल करना भी जायेज़ है आखरी गुस्ल में काफूर भी इस्तेमाल किया जाए इसका फायदा यह है की जिस्म को सख्त कर देता है और कीड़े मकोड़े को भगा देता है अगर मय्यत को ज्यादा मैल कुचैल लगा हो तो उसे ज्यादा बार भी गुस्ल दिया जा सकता है रसूलुअल्लाह सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने अपनी लख़्ते जिगर हजरत जै़नब रदी अल्लाहू अन्हा को गुस्ल देने वाली ख्वातीन से फरमाया था : “उसे तीन या पांच बार गुस्ल दो अगर ज़रूरत मह़सूस करो तो उस्से भी ज्यादा मर्तबा गुस्ल दो” (सहीह बुखारी , अलजनाइज़:1253) मैयत को गुस्ल देने वाला अगर महसूस करे की मैयत के जिस्म से आलाइश वगैरा निकलकर उसे लगी है तो उसे चाहिए की मय्यत को गुसल से फरागत के बाद खुद भी गुस्ल करे , अगर उसे यकीन है की मय्यत से कोई चीज नहीं निकली है तो गुस्ल देने वाले को नहाने की जरूरत नही है मय्यत को गुसल देने के बाद उसे साफ-सुथरा कफन पहना दिया जाए| (वल्लाहु आअलम)

 

mayyat ko gusl dene ka tareeqa

मय्यत को गुस्ल देने का तरीक़ा

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