सवाल:
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु
तयम्मुम का तरीका (ह-नफ़ी) क्या है?
जवाब:
व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु
तयम्मुम का तरीका (ह-नफ़ी):
तयम्मुम की निय्यत कीजिये (निय्यत दिल के इरादे का नाम है, ज़बान से भी कह लें तो बेहतर है। मसलन यूं कहिये वे वुजूई या बे गुस्ली या दोनों से पाकी हासिल करने और नमाज़ जाइज़ होने के लिये तयम्मुम करता हूं) बिस्मिल्लाह पढ़ कर दोनों हाथों की उंग्लियां कुशादा कर के किसी ऐसी पाक चीज़ पर जो ज़मीन की किस्म (म-सलन पथ्थर, चूना, ईंट, दीवार, मिट्टी वगैरा) से हो मार कर लौट लीजिये (या’नी आगे बढ़ाइये और पीछे लाइये)। और अगर ज़ियादा गर्द लग जाए तो झाड़ लीजिये और उस से सारे मुंह का इस तरह मस्ह कीजिये कि कोई हिस्सा रह न जाए अगर बाल बराबर भी कोई जगह रह गई तो तयम्मुम न होगा। फिर दूसरी बार इसी तरह हाथ ज़मीन पर मार कर दोनों हाथों का नाखूनों से
ले कर कोहनियों समेत मस्ह कीजिये, इस का बेहतर तरीका येह है कि उल्टे हाथ के अंगूठे के इलावा चार उंग्लियों का पेट सीधे हाथ की पुश्त पर रखिये और उंग्लियों के सिरों से कोहनियों तक ले जाइये और फिर वहां से उल्टे ही हाथ की हथेली से सीधे हाथ के पेट को मस करते हुए गिट्टे तक लाइये और उल्टे अंगूठे के पेट से सीधे अंगूठे की पुश्त का मस्ह कीजिये। इसी तरह सीधे हाथ से उल्टे हाथ का मस्ह कीजिये। और अगर एक दम पूरी हथेली और उंग्लियों से मस्ह कर लिया तब भी तयम्मुम हो गया चाहे कोहनी से उंग्लियों की तरफ़ लाए या उंग्लियों से कोहनी की तरफ ले गए मगर सुन्नत के खिलाफ हुवा। तयम्मुम में सर और पाउं का मस्ह नहीं है।
(मुलख्खस अज़ बहारे शरीअत, जि, 1, स. 353,354,356 वगैरा)