सवाल:
अस्सलामु अलयकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु
मुहर्रम में लाल,काले और हरे कपड़े पहनना या हरी टोपी ओढ़ना कैसा?
जवाब:
व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु
मुहर्रम में यह हरे और काले कपड़े गम और सोग मनाने के लिए पहने जाते हैं और सोग इस्लाम में हराम है उसके अलावा सोग की और बातें भी कुछ राइज हैं जैसे मुहर्रम में शुरू के दस दिन कपड़े न बदलना, दिन में रोटी न पकाना, झाडू न लगाना, माहे मुहर्रम में बियाह शादी को बुरा समझना सब फुजूल बातें और जिहालत व राफजीयत की पैदावार खुराफातें हैं।
आला हज़रत फरमाते हैं:
यूंही अशर-ए-मुहर्रम में सब्ज़ (हरे) रंगे हुए कपड़े भी नाजाइज़ हैं यह भी सोग की गरज से हैं….. अशर-ए-मुहर्रम में तीन रंगों से बचे सियाह (काला) सब्ज़ (हरा) सुर्ख(लाल)।
(फतावा रज्वीया जिल्द 24, सफः465, 466)
बाज जगह अशर-ए-मुहर्रम में सवारियाँ निकाली जाती हैं और उनके साथ तरह-तरह के तमाशे और डरामे होते हैं वह भी नाजाइज़ व गुनाह हैं। खुदाए तआला मुसलमानों को सही मायनों में इस्लाम को समझने और उस पर चलने की तौफीक अता फरमाए।