सवाल :
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू
ताजिएदारी के बारे में कुरआन व हदीस का क्या हुक्म है?
जवाब :
व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू
कुरआने करीम में है:
और उन लोगों से दूर रहो जिन्होंने अपने दीन को खेल तमाशा बना लिया और उन्हें दुनिया की ज़िन्दगी में धोखा दे दिया है। (प० 7, रुकू 14)
और एक जगह फरमाता है।
जिन लोगों ने अपने दीन को खेल तमाशा बना लिया और दुनिया की ज़िन्दगी ने उन्हें धोखे में डाल दिया आज उन्हें हम छोड़ देंगे जैसा उन्होंने उस दिन के मिलने का ख़्याल छोड़ रखा था और जैसा वह हमारी आयतों से इंकार करते थे।
(प० 8, रुकूअ 13)
इन आयतों को आप ध्यान से पढ़ें तो आज की ताजिए दारी और उर्सों के नाम पर जो मेले ठेले नाच तमाशे और कव्वालियां हो रही हैं यह सब चीजें याद आ जाएंगी और नजर इंसाफ कहेगी कि वाकई यह वह लोग हैं जिन्होंने इस्लाम को तमाशा बना कर रख दिया और मज़हब को हंसी खेल की शक्ल दे दी। खुदाए तआला तौफीक दे। इंसान को चाहिए कि मरने से पहले आंखें खोल ले और होश में आ जाए। कुरआने करीम में जगह-जगह अल्लाह तआला ने दर्द व मुसीबत हादिसात वगैरह पर सब्र करने का हुक्म दिया है कि रोने पीटने चीखने पुकारने सीने कूटने और मातम करने का।
हदीस शरीफ में है रसूले खुदा सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया।
:जो (मैयत के गम में) गाल पीटे, गरीबान फाड़े और जमान-ए-जाहिलीयत की सी चीख व पुकार मचाए वह हम में से नहीं। (सही बुखारी जिल्द 1. सफः 173)
हज़रत उम्मे अतीया कहती हैं नहाना अनिन्नियाहते रसूले खुदा सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हम को नौहा करने से मना फरमाया। (सही बुखारी जिल्द नम्बर 2. सफः 726) और एक हदीस में है रसूले खुदा सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया।
अल्लाह अज़्ज़ा व जल्ल ने मुझको ढोल बाजे और बांसुरियों को मिटाने का हुक्म दिया। (मिश्कात सफः 318, किताबुल-इमारह फसल सालिस)
इसके अलावा एक और हदीस में है हुजूर फरमाते हैं। मेरी उम्मत में ऐसे लोग होंगे जो ढोल बाजों को हलाल कर लेंगे। (सही बुखारी जिल्द नम्बर 2, किताबुल-अशरेबा सफः 837)